Friday, February 7, 2014

दकियानूसी



पार्क के कोने में अपने प्रेमी संग बैठी हनी ने उसके डिमांड को मानने से इंकार कर दिया था | लड़का उसे समझाने की कोशिश कर रहा था, " तुम भी न बेहद दकियानूसी हो , केवल दिखती मॉडर्न हो | पुरानी सदियों में यह एक गुनाह समझा जाता था | अब तो सब चलता है |" अभी वह उसे कन्विंस करने की कोशिश कर ही रहा था कि उसे बगल के झाड़ी से कुछ जानी- पहचानी आवाज सुनाई दी | उसे लगा कि यह आवाज तो छवि की है | आश्वस्त होने के लिए उसने झांककर देखा तो उसके होश फाख्ता हो गये | वह छवि ही थी , उसकी बहन , अपने प्रेमी के संग बैठी हुई | " छि: छवि भी ऐसी हो सकती है ! क्या उसे कुल -परिवार के मान मर्यादा का, प्रतिष्ठा ,नैतिकता का तनिक भी लिहाज नहीं है | " उसके आँखों में लहू उतर आया | उसने उन दोनों पर हमला बोल दिया | बहन को कुलटा, कुल कलंकिनी और न जाने क्या -क्या गलियां दी | उसके प्रेमी को फिर देख लेने की धमकी दी | और बहन को घसीसटते हुए वह पार्क से चला गया | हनी अचंभित उसे जाते देखती रही |