Saturday, April 13, 2013



जय भीम ! जय भारत !


आज बाबा साहेब श्री भीमराव अम्बेडकर का जन्मदिन है | उनकी जैसी शख्शियत के बारे में मैं क्या कुछ लिख पाउँगा | लेकिन लिखना चाहता हूँ ताकि उन्हें अपनी श्रदा सुमन अर्पित कर सकूं | 

समाज के अत्यंत दमित वर्ग में जन्मे बाबा साहेब ने आजीवन भारतीय सामाजिक रूदियों के दंश सहे | ये दंश भारतीय समाज के बड़े वर्ग को सदियों से सहना पड़ना पड़ रहा था, और आज भी किसी न किसी रूप में बदस्तूर जारी है | बाबा साहेब के जीवन संधर्भ को जानने की कोशिश करते हुए समाज के एक बड़े वर्ग के प्रति अत्याचार की ऐतिहासिकता को समझा जा सकता है | जो समूचे मानवता को शर्मसार करती है | क्या हम ऐसे समाज में रहना पसंद करेंगे, जहाँ का एक वर्ग केवल किसी खास कुल में जन्म लेने के कारण त्याज्य हो ? क्यों हमारी संवेदना एक सीमा तक पहुँच कर सुन्न पड़ जाती है ? दुर्भाग्य से ऐसा पूर्वाग्रह आज भी बदस्तूर जारी है | हाँ, इसमें आ रहे बदलाव की आहत सुनायी दे रही है |

आज बाबा साहेब को जीवन सन्दर्भ को निरपेक्षता से समझने की और ज्यादा आवश्यकता है | क्योंकि आरक्षण के राजनीतिकरण और जातीय राजनीति आदि के लिये समाज का एक बड़ा तबका उन्हें जिम्मेवार मानता है | नतीजतन समाज में अगड़ों -पिछड़ों के बीच कटू प्रतिक्रिया उत्पन्न हो रही है , जो देश, समाज के लिये हितकर नहीं है | बाबा साहेब दलित- दमित वर्ग को मुख्य धारा से जोड़ना चाहते थे | धर्म के वर्ण व्यवस्था को तोड़कर धर्म का समूल नाश चाहते थे | उन्होंने कभी जाति की राजनीति नही की | दुर्भाग्य से उन्हें आज एक खास वर्ग का नेता बनाने की कोशिश की जा रही है |हमे ऐसे बहकावे में आने से बचना होगा | जय भीम ! जय भारत !

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