Friday, April 4, 2014

माँ का घर

अशोक बाबू बड़े उत्साह से आये मेहमानों को अपना नया घर  दिखा रहे थे । इस घर में तीन बेड रूम है ।  यह मेरा  बेडरूम है, ये  बेटे किसू  का स्टडी रूम और बगल में उसके लिए  एक सेप्रेट बेड रूम । बेटी के लिए भी यही अरेंजमेंट है । यह बड़ा सा हाल इसलिए बनवाया है कि घरेलू पार्टियां आराम से हो सके । पीछे साइड से सर्वेंट्स रूम है और एक स्विमिंग पूल  निर्माणाधीन है ।अकस्मात् एक मेहमान ने पूछा,  "और माँ का कमरा कौन सा है ?" अशोक बाबू इस अनचाहे प्रश्न से भौचंक रह गये । लड़खड़ाते हुए जवाब दिया , "पूरा घर तो माँ का ही है।" बरामदे के एक कोने में चौकी पर पड़ी माँ के चेहरे पर निरीहता उभरी । फिर किसी ने न कुछ पूछा और  ना ही किसी ने  कोई जवाब दिया । 

Friday, February 7, 2014

दकियानूसी



पार्क के कोने में अपने प्रेमी संग बैठी हनी ने उसके डिमांड को मानने से इंकार कर दिया था | लड़का उसे समझाने की कोशिश कर रहा था, " तुम भी न बेहद दकियानूसी हो , केवल दिखती मॉडर्न हो | पुरानी सदियों में यह एक गुनाह समझा जाता था | अब तो सब चलता है |" अभी वह उसे कन्विंस करने की कोशिश कर ही रहा था कि उसे बगल के झाड़ी से कुछ जानी- पहचानी आवाज सुनाई दी | उसे लगा कि यह आवाज तो छवि की है | आश्वस्त होने के लिए उसने झांककर देखा तो उसके होश फाख्ता हो गये | वह छवि ही थी , उसकी बहन , अपने प्रेमी के संग बैठी हुई | " छि: छवि भी ऐसी हो सकती है ! क्या उसे कुल -परिवार के मान मर्यादा का, प्रतिष्ठा ,नैतिकता का तनिक भी लिहाज नहीं है | " उसके आँखों में लहू उतर आया | उसने उन दोनों पर हमला बोल दिया | बहन को कुलटा, कुल कलंकिनी और न जाने क्या -क्या गलियां दी | उसके प्रेमी को फिर देख लेने की धमकी दी | और बहन को घसीसटते हुए वह पार्क से चला गया | हनी अचंभित उसे जाते देखती रही | 

Friday, January 31, 2014

ट्रैफिक सिग्नल

सिग्नल ने रंग बदला और लाल हो गया | उसके सामने भागती-दौड़ती गाड़ियाँ एक-एक कर रूकती चली गयी | गाड़ियों के रुकते ही फेरीवालों का झुंड सलामती, दुआ के ओफर के साथ किस्म किस्म के सामान बेचने की जुगत में गाड़ियों के पास भिनभिनाने लगे | इसी रेलपेल में एक तेरह-चौदह साल की लड़की एक कार वाले साहब से गुलदस्ता ले लेने की मिन्नत कर रही थी | उस कार वाले साहब ने एक नजर उस लड़की पर डाली | मन में कई भावों ने रंग बदले | उसने एक गुलदस्ता खरीद लिया | लड़की पैसे लेने लिए जैसे थोड़ी झुकी कि उसने लपककर उसके छोटी, उभरती छाती को दबा दिया | लड़की अचकचाकर पीछे हट गयी | सिग्नल ने फिर रंग बदला | वह हरा हो गया | साहब मुस्कुराते , हॉर्न बजाते हुए आगे बढ़ गये , कुछ अपने साथ घसीटते हुए, कुछ वहीँ छोड़कर ...........|