Thursday, December 5, 2013

दस पैसा


उसे पुराने सिक्के जमा करने का शौक था | आज वह पुराने सिक्कों को निकाल कर देख रहा था | एक दस पैसे का सिक्का पिछलकर नीचे कहीं गिर गया | काफी मशक्कत के बाद उसे वह सिक्का टेबल के नीचे मुस्कराता मिला | सिक्के को हाथ में लेते ही विस्मृत स्मृति ने उसे घेर लिया |
"माँ , दस पैसे दो ना, लट्ठा खाना है |"
माँ ने पैसे न देकर उसे किसी और बहाने से बहलाने की कोशिश की |
"नहीं, मुझे पैसे दो ना " | वह माँ का आँचल पकड़कर जोर -जोर से रोने लगा |
माँ का कलेजा भर आया | बोली, "ठहर मैं अभी आती हूँ |" इतना कहकर वह पडोसी के घर गयी | लौटकर उसने उसे दस पैसे का सिक्का दिया | वह खिलखिलाता हुआ लट्ठा खाने भाग पड़ा |
आज हाथ में दस पैसे का सिक्का लिए उसे उस दस पैसे की याद आयी | माँ का दुखी चेहरा याद आया | माँ ने उसके लट्ठा के लिए पड़ोसी से पैसे मांगे थे |
उसे देश छोड़े , माँ से बिछुड़े दस साल हो गए थे | उसने माँ को फ़ोन किया, " माँ , मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ |"